Jagruk Yuva Sangathan

Monday, October 26, 2009

Sorry

We could not post any material from last one year.We are sorry ....
Meanwhile many activities and experiments are contineous in field.I will post some of them in comming days.
sorry ....

Bharat me Bhi hogi Diwali

भारत में भी होगी दिवाली

सुदूर पहाडियों में
मुर्गे की बाग़ से उठ कर
सूर्योदय से सूर्यास्त तक
चोटी से एडी तक
पसीना बहाने के बावजूद
जहाँ -
माँ फटे पल्लू से सूरज देखती है
बापू बूशट कभी कभी पहनता है
बच्चे फटेहाल है
बीवी की साडी तार तार हो गई है
बहिन मुस्किल से इज्जत छुपाती है
क़र्ज़ सर पर है
झोंपडी के केलु कम पड़ गए हैं
दरवाजे अभी लगने हैं
बकरी, मुर्गे और बच्चे साथ- साथ सोते हैं
गुदडी में जुओं का राज है
सब्जी ख्वाब है
दाल कभी कभी खाते हैं
मिर्ची से काम चलाते हैं
प्याज खाना तो अब मुश्किल है
बच्चों को अभी जानना बाकी है -
अ- से अनार का स्वाद
जहाँ बुखार तक गंभीर आर्थिक संकट है
कुपोषण स्थाई है
भरपेट भोजन ख्वाब है
गरीबी, कमजोरी व बीमारी में ज़ंग है
किसी का मर जाना आम बात है
जिन्दा रहना खास बात है

वे भी देखते है सपना
जमीन की मालिकी होगी
होगी खेतों में हरियाली
जीवन में आएगी खुशहाली
तब कभी मनाएंगे दिवाली
भरपेट भोजन करेंगे
चावल में घी शक्कर घोलेंगे
सब के नए कपड़े होंगे
घर को सजायेंगे
दीप जलाएंगे
मिल कर जश्न मनाएंगे
रात भर नाचेंगे गायेंगे
उस दिन
इंडिया की तरह ही
भारत में भी होगी दिवाली

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ.................

डी. एस. पालीवाल
१५-१०-२००९