Deepawali Greetings ! Nov 2010
    
      मनाएंगे साझी दीवाली
जल्दी उठना
काम पर जाना
खटना
पसीना बहाना
देर रात घर लौटना
बारह से पंद्रह घंटे
जुटे रहना
खुद को भूल जाना
लगातार मुनाफा देना
मात्र जिन्दा रहने को
मजूरी पाना
बच्चे है
बीबी है
माँ व पिता है
थोड़ी जमीन भी है
पर सम्बन्ध नहीं
रिश्ते नहीं
यह सब महसूसने का
समय नहीं
खेत है
पानी नहीं
हल नहीं
बैल नहीं
कुदाली फावड़ा नहीं
बीज कहाँ
खाद कहाँ
फसल कहाँ
बरसात में
कुछ दाने होते है
खेती और मजूरी से
पेट आधा भरता है
शिक्षा,दवाई और....
उम्मीद भी नहीं
योजनाएं
फाइलों
भाषणों और
रावलो में ही अटक जाती है
त्यौहार शहर कस्बो तक ही सिमित है
बाज़ार सज जाते है
बिक्री के धमाके होते है
उच्च तबको की नक़ल
निचे भी पंहुचती है
दीवाली भी मन जाती है
सवाल उठता है
किसान,
फसल पकने क़ी दीवाली
श्रमिक ,
मजदूरी से मुक्ति क़ी दीवाली
गरीब,
जलालत से निजात क़ी दीवाली
दीप से दीप जलाते हुए
अपनी साझी ,
फतेह क़ी दीवाली
कभी मना पाएंगे !
इसी उम्मीद के साथ
दीपावली क़ी शुभ कामनाये
डी. एस. पालीवाल
3-11-2010
--
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  जल्दी उठना
काम पर जाना
खटना
पसीना बहाना
देर रात घर लौटना
बारह से पंद्रह घंटे
जुटे रहना
खुद को भूल जाना
लगातार मुनाफा देना
मात्र जिन्दा रहने को
मजूरी पाना
बच्चे है
बीबी है
माँ व पिता है
थोड़ी जमीन भी है
पर सम्बन्ध नहीं
रिश्ते नहीं
यह सब महसूसने का
समय नहीं
खेत है
पानी नहीं
हल नहीं
बैल नहीं
कुदाली फावड़ा नहीं
बीज कहाँ
खाद कहाँ
फसल कहाँ
बरसात में
कुछ दाने होते है
खेती और मजूरी से
पेट आधा भरता है
शिक्षा,दवाई और....
उम्मीद भी नहीं
योजनाएं
फाइलों
भाषणों और
रावलो में ही अटक जाती है
त्यौहार शहर कस्बो तक ही सिमित है
बाज़ार सज जाते है
बिक्री के धमाके होते है
उच्च तबको की नक़ल
निचे भी पंहुचती है
दीवाली भी मन जाती है
सवाल उठता है
किसान,
फसल पकने क़ी दीवाली
श्रमिक ,
मजदूरी से मुक्ति क़ी दीवाली
गरीब,
जलालत से निजात क़ी दीवाली
दीप से दीप जलाते हुए
अपनी साझी ,
फतेह क़ी दीवाली
कभी मना पाएंगे !
इसी उम्मीद के साथ
दीपावली क़ी शुभ कामनाये
डी. एस. पालीवाल
3-11-2010
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