मजदूरों का उत्सव मई दिवस अमर है
न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपये मासिक हो
1 मई को सुबह से ही उदयपुर जिले के केसरियाजी कस्बे में स्थित पगल्यजी गार्डन की बाउण्ड्रªी पर लाल झण्डे लहरा रहे थे और मजदूरों की टोलियां सभास्थल की तरफ धीरे-धीरे बढ रही थी। सभास्थल भी लाल झण्डांे से सजा हुआ था और जुलूस के लिये एक पेड के सहारे सैकडों लाल झण्डे खडे थे। न कोई बिछात थी, न कुर्सियां, न ही कोई टैण्ट शामियाना । मजदूर महिला और पुरुषों को इसकी कोई परवाह भी नहीं थी। वे तो हंसते खेलते गोद मे मासुमों साडी के पल्लू के सहारे धुप से बचाते, कंधे पर छोटे बच्चों को उठाये चले आ रहे थे और आराम से समूहो में बैठे अगली घोषणा की इंतजार कर रहे थे। कुछ साथी गार्डन में बैठे थे, कुछ पानी की टंकी के पास खडे थे। लाल झण्डे लगाये, नारे लगाते हुए जीपों मे भरकर मजदूर महिला पुरुष आते ही जा रहे थे।
11 बजते ही आयोजको ने दौडभाग तेज कर दी। काम की गति तेज हो गई। धना धन निर्देश दिये जा रहे थे। सभी बराबरी के साथी फिर भी तेजी पालना कर रहे थे। आज सभी खुश थे कि केसरियाजी की सभी युनियने मिलकर मर्ह दिवस का आयोजन कर रहीे है।
सभी कार्यकर्ता कार्यक्रम की सफलता के लिए उत्साहित थे। पिछले पखवाडे मे मजदूर हक संगठन ने क्षेत्र में 1000 पोस्टर चस्पा किये गये। उसके बाद 6000 परचे वितरित किये गये। 4000 सांझे परचे गहरी खानों से लेकर गांव-गांव और कमठाना-कमठाना बांटकर मजदूरों को मई दिवस की जानकारी दी गई। मिल मजदूरो ने 2000 पर्चे अलग से बांटे और मिल गेट पर सभा हुई। खान मजदूर संगठन के अध्यक्ष और सचिव की टीम ने खान मजदूरो में सांझा पर्चा वितरित किया। मिल मजदूरो ने आगे-आगे सुचना पहुंचाई। शिक्षक संगठन ने भी सहयोग किया। वही जागरुक युवा संगठन के विद्यार्थी और युवाओ ने मजदूर किसानो के बेटे होने का फर्ज अदा किया। किसान भी उत्साह से कार्य कर रहे थे। युवाओं की टोली ने सम्पूर्ण खेरवाडा और केसरियाजी क्षेत्र में माईक से एनाउन्समेंट कर सबको फिर से मई दिवस की याद दिलाई। कुछ कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर अपने साथियो को सुचना दी। कुछ ने मोबाइल से खबर भेजी। वहीं शिक्षित वर्ग ने वाट्स एप से भी आमंत्रण भेजे। एक छोटी बालिका परम्परागत ढंग से मेहमानो का तिलक लगा कर सबका स्वागत कर रही थी।
12 बजते ही मुख्य अतिथि रमेश नंदवाना और पत्रकार उग्रसेन राव के आते ही सभी कार्यकर्ताओ ने खडे होकर समान किया और ढोल कुण्डी बज उठी, नारे गुंजने लगे। मजदूर समझ गये कि अब कार्यक्रम प्रारम्भ होने वाला है। सभी सभास्थल की तरफ बढे और वह खचाखच भर गया।
मजदूर हक संगठन के सचिव शान्ति लाल डामोर ने फैज अहमद फैज की गजल ‘एक खेत नही एक देश नही हम सार दुनिया मांगेंगे.......’ से कार्यक्रम का आगाज किया। उन्होने बताया कि हक संगठन सभी तरह के मेहनतकशों का साझा संगठन है और यूनियने बनाने और उन्हे मजबूत करने के साथ ही संघर्ष में सहयोग करने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि यूनियने तो मात्र कानूनी हकों तक सिमित रहती है पर यह संगठन मेहनतकशों की पारिवारिक समस्याओं से लेकर, गांव-फले की समस्याओं के लिये भी काय्र करता है तथा किसानों के साथ मिलकर मजदूरों का राज लाने के लिये भी आगे बढ रहा हैं।
कर्यक्रम में न कोई फुल थे, न कोई हार। न ही ऐसी कोई ऐसी गर्दन थी जो हार के लिए लालायित हो। बिना किसी औपचारिकता के शान्ति ने सभी मेहमानों और मजदूर साथियों का स्वागत किया और क्रमशः जनवादी मजदूर युनियन के संरक्षक डी.एस. पालीवाल, जंगल जमीन जन आन्दोलन के संयोजक रमेश नंदवाना, वरिष्ठ पत्रकार उग्रसेन राव, धागा मिल मजदूर संघर्ष समिति के सोमालाल भगोरा, जागरुक युवा संगठन के महासचिव प्रभुलाल खराडी, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के जिला मंत्री कान्तिलाल असोडा को मंच पर आमंत्रित किया। पेड के चारो तरफ बने चबुतरे को ही मंच बना दिया गया। उसी पेड की छांव मंे सर्व प्रथम जनवादी मजदूर युनियन के सचिव जयन्ती लाल मीणा ने मई दिवस का इतिहास बताया। उन्होंने स्थानीय मजदूरांे की तुलना शिकागो और तत्कालीन अमरीका के मजदूरों से करते हुए कहा कि आज भी खान मजदूर, मिल मजदूर तथा अन्य सभी तरह के स्थाई, अस्थाई और ठेका मजदूरों के काम के घंटे तय नहीं है। उन्हंे स्थाई नहीं किया जाता और डबल ओवर टाईम आदि भी नहीं मिलता है। उन्हांेने बताया कि कई उधोगों में हाजरी रजिस्टर तथा उद्योगों के नाम केे बोर्ड तक नहीं है।
सभा मे मिल मजदूर संघर्ष समिति के सोमालाल भगोरा ने बताया कि मील मजदूर पानी उबलने के तापमान पर 8 घण्टे में करीब 500 किलो माल तैयार करता है पर पर मजदूर को केवल 277 रुपये मजदूरी मिलती है। 20 साल से जनरल एग्रीमेंट नहीं हुआ है। सिंगल ओवर टाइम दिया जाता है। मजदूरों के हक मे बोलने वालो को काम से भी हटा दिया जाता है। पुलिस थानो मे बंद करा दिया जाता है। गुण्डोे से मारपीट करवाई जाती है। मान्यता प्राप्त युनियन मजदूरांे के लिए नही बोलती, पदाधिकारियों की कोई सुनवाई नहीं होती है। मासिक चंदे का कोई हिसाब किताब नहीं है और 27 साल से यूनियन के आन्तरिक चुनाव तक नहीं हुए है।
सभा को संबोधित करते हुए जागरुक युवा संगठन के महासचिव प्रभुलाल खराडी ने कहा कि स्वदेशी के नारे लगाने वाली भाजपा सरकारे पूर्व की सरकारों की तरह ही हमारा जल, जंगल, जमीन, खनिज और मानव श्रम लुटाने के लिए विदेशी लुटेरों की आवभगत कर रहीे है, जिससे न तो युवाओ को रोजगार मिलेगा न ही देश को आय होगी। उन्होने बताया कि कोई राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनी मुनाफे के लिए धन लगायेगी और उसके लिए गेती-तगारा-फावडा नहीं बल्कि बडी-बडी मशीने लेकर आयेगी और देश के संसाधनो को लुट कर ले जायेगी। उन्होंने मेक इन इण्डिया का मजाक उडाते हुए कहा कि मोदी मेकअप वाला इण्डिया बनाना चाहते है। उन्होंने शोचालय योजना का बोलते हुए कहा कि इंसान का पेट खाली है तो शोचालय कहा जायेगा। खराडी ने युवा का मतलब बताते हुए कहा कि राजनितिक पार्टियों और उनके नेताओ को चुनावो मे वोट कबाडने वाला, दारु और रुपया बांटने वाला और मजदूरों की हडतालों को तोडने के लिए मजदूरो को पटाने और धमकाने वाला युवा चाहिए। पर हमे इसके विपरित महंगाई, शोषण, लुट व बेरोजगारी का नामोनिशान मिटाने और हर मजदूर, किसान, कर्मचारी दलित, आदिवासी, महिला और अपने हक के लिए लडने वाले सभी तबको की लडाई में कंधे से कंधा मिलाकर लडने और नेतृत्व करने वाला युवा चाहिए।
सभा में राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के जिला मंत्री शिक्षा व्यवस्था दुर्दशा पर बोलते हुए बताया कि रामराज मे भी दलितांे, महिलाओं और आदिवासियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था। उन्होंने बताया कि यह षडयंत्र आज भी जारी है केवल रुप बदला है। सिनियर स्कुल 3-4 शिक्षको के भरोसे चल रहे है। विद्यालयो में समानीकरण, एकीकरण और नीजिकरण के तहत विद्यार्थियो को शिक्षा वंचित किया जारहा है। वही बेरोजगारो के भविष्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है।
सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार उग्रसेन राव ने कहा कि हमारे बेनर अलग-अलग हो सकती है पर जाति एक है वह है मजदूर। जिस भी मजदूर पर संकट आये हमें उसकी मदद के लिये दौड पडना होगा। उन्होंने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि नरेगा के बावजूद काम नहीं मिल रहा है उन्हांेने इसके जिम्मेदार लोगो को सबक सिखाने की जरूरत बताई। उन्हांेने कहा कि आज की महंगाई के हिसाब से न्यूनतम 18000 रुपये मासिक मजदूरी मिलनी चाहिए। उन्होने कहा कि हमें लडना होाग ताकि हमारे बच्चो के लिए अच्छी दूनिया छोड कर जाये। उन्होने कहा कि शराब कारोबारी और राज्यसभा सांसद विजय माल्या 9000करोड डकार कर भाग गया और अब विदेश में बैठ कर गुर्रा रहा है। ऐसे ही अमिताभ बच्चन सहित 500 लोगो ने काला धन बनाया है जबकि सरकार इनका नाम तक बताने को तैयार नही है। हमे अच्छी और सबको शिक्षा के लिए विद्यालय चलाने होंगे। हमे कारखाने चलाने की भी तैयारी करनी होगी। इसके सिवाय हमारे अच्छे दिन नही आ सकते। उन्होने भरोसा दिलाया कि यहां से कोई भी अच्छा आंदोलन खडा होता है तो मै साथियो सहित कंघे से कंधा मिलाकर लडूॅगा।
सभा को संबोधित करते हुए जनवादी मजदूर युनियन के संरक्षक डी.एस पालीवाल ने मजदूर राज लाने की लडाई की तैयारी करने का आव्हान करते हुए कहा कि अले अलग उद्योगों में अपनी अपनी यूनियन मजबूत करनी होगी। मांग पत्र सौपने होंगे तथा एक दूसरे को मदद देते हुए सामुहिक लड़ाई तेज करनी होगी। उन्होने बताया कि हर मजदूर को किसी न किसी यूनियन का सदस्य बनकर, कमेटियों में जिम्मेदारी से काम करते हुए पूरे सम्पूर्ण मजदूर वर्ग के हितों के लिये सोचते और काम करते हुए लीडर बनना होगा।
सभा को संबोधित करते हुए जंगल जमीन जन आन्दोलन के संयोजक रमेश नंदवाना ने कहा कि जंगल हमारा है। जल हमारा है। यहां से निकलने वाले खनिज के हम मालिक है। फिर भी हमारी हालत खराब है। यह नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि सांसदो ने 1.25 लाख से 2.50 लाख रुपया मासिक वेतन कर दिया है जबकि मजदूर को नाम की मजदूरी भी नहीं मिलती है। उन्होंने 18000 हजार न्युनतम मजदूरी की लडाई लडने, सबको स्थाई करने और जरुरत पडने पर अलग राज्य की लडाई लडने का प्रस्ताव रखा।
उन्होने साफ कहा कि कोर्ट कचहरियों से मजदूरों को न्याय मिलने की संभावना न के बराबर है। उन्होने उदाहरण देकर बताया कि कोर्ट सिदार्थ मार्बल मसारो की ओबरी को नोटिस भेजता है तो डाकिया इस तरह की कोई खान नहीं लिख कर नोटिस कोर्ट को वापस कर देता है। मालिकों को नाटिस तक तामील नहीं हो रहें हैं तो न्याय कहां से मिलेगा।
सभा में हरावल टीम ने संघर्ष के गीत सुनाये। सभा के बाद कस्बे में ढोल ढमाके के साथ जुलूस निकाला। जुलुस में मजदूर, किसान हाथों में लाल झण्डा और तख्तिया लिए नाचत,े गाते और नारे लगाते चल रहे थे। जुलूस बस स्टेण्ड पर जाकर आम सभा में बदल गया। जहा जनवादी मजदूर युनियन के संरक्षक डी एस पालीवाल ने सभी तरह मजदूरो के लिए 18 हजार रुपये मासिक मजदूरी की लडाई की तैयारी करने का आह्वान किया।